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Showing posts from 2017

Tamasha

फिर क्या  हुआ  होना  क्या है वो  ही  कहानी फिर इक बार  मजनू ने लिए कपडे फाड़  मार तमाशा बीच बाजार  रुकके सोचा  ऐसा क्यों  ऐसा वैसा जैसा तैसा पैसा  पैसा  पैसा ना होता तो फिर कैसा होता  सोचो . अरे छोडो बोरिंग बातें सारी  मस्त रहो जमके खाओ  ले लो पंगे  चढ़ लो सूली  फाड़ लो कपडे, तोड़ दो बंधन, खोल दो रस्सी ,बोल दो किस्सा  सभी  जनो का दिल बेहलाओ  शोर मचाओ मारो ठुमका  फेक बिखेरो मन की चांदी  दिल का सोना  आँख की मोती  सब अर्पित है  आपकी खातिर  मैं नौकर  हूँ आप मालिक हैं   टाई पेहेन कल फिर आऊंगा  आपके आँगन वही करूँगा जो रोज़ किया  है  वोही फिरसे करूँगा , फिरसे करूँगा , फिरसे करूँगा , फिरसे करूँगा  अच्छा बेटा कभी इधर तो कभी उधर अंदर क्या है अंदर क्या है  कौन से रंग का दिल हे तेरा क्या चाहता है  ∆ तारा  तारा  कौनसा तारा? किस मंज़िल का ? क्या चक्कर है  कहाँ चला है दिल का रास्ता बिन कदमो के  दूर खड़ी सपनो की मलिक्का  है थोड़ी न यार  मिराज  है  जो रेगिस्तान में दिखता है  होती रेत है लगता पानी  उसके लिए मैं पापड  बेलु ?